Saturday, 26 February 2011

राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका

युवा पीढ़ी किसी भी राष्ट्र का आधार होती है. जिस तरह से कोई भी भवन बिना नींव के नहीं टिक सकता, उसी तरह से कोई भी राष्ट्र युवा शति के बिना प्रगति नहीं कर सकता. युवा पीढ़ी वह शति है जो हमारव् देश को महाशति बना सकती है. भारत की लगभग ६६ फीसदी आबादी युवा है. युवा भारत के कंधों की ताकत को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आज बेशक अमेरिका महाशति है लेकिन भारत को विश्वशति बनने से दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती.
    हमारव् इतिहास से यह बात सिद्ध होती है कि आजादी की लड़ाई में इस देश के नौजवान सूरमाओं ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी. युवा नेतृत्व नेताजी सुभाष् चंद्र बोस, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव के बलिदान को भला कौन भूल सकता है. खुदीराम बोस, जिन्होंने महज २३ साल की अवस्था में फांसी के फंदे को हंसतेहंसते चूम लिया था. ऐसे ही अनेक उदाहरणों से भारत का इतिहास भरा पड़ा है.
आज जिस तरह से देश के हालात बने हैं, राजनीतिक पार्टियों के दबदबे में भ्रष्टाचार और आतंक का वातावरण है. जिस प्रकार से राजनीतिज्ञ अपने निजहितों के चलते देश की जड़ों को खोखला कर रहे हैं. ऐसे में निश्चित तौर पर युवाओं की भूमिका काफी अहम हो जाती है कि वे स्वयं ऐसी मिसाल पेश करव्ं और नेतृत्व संभालें कि दुनिया भारत की ताकत का अहसास कर सके. युवा राहुल गांधी से प्रेरित हो सकते हैं जिन्होंने बड़े राजनीतिक और शाही घराने में पैदा होने के बावजूद गरीबों की भावना को समझा. अफसोस इस बात का है कि युवाओं में नशावृाि बढ़ रही है. वे गलत संगत में आकर अपने रास्ते से भटक रहे हैं जो राष्ट्र के लिए बेहद घातक है. अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए युवा शति का मानस बदलने वाले गद्दारों से युवाओं को सावधान रहते हुए शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति करनी चाहिए ताकि वे देश के लिए कुछ कर सकें. युवा आगे बढ़ें, मां भारती की सेवा का संकल्प धारण करते हुए देश की तरफ गिद्धदृष्टि लगाए बैठे नापाक लोगों को मुंहतोड़ जवाब देना सीखें और देश में आपसी भ्रातृभाव बढ़ाएं.

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