Sunday, 6 March 2011

बीबीएन की फिजाओं में घुला जहर

नालागढ़ — हिम परिवेश पर्यावरण संरक्षण संस्था के अध्यक्ष जेएस दुखिया ने कहा कि हिम परिवेश पर्यावरण संस्था व नई दिल्ली स्थित कम्युनिटी एन्वायरनमेंट कैंपेन द्वारा दिए गए हवा के सैंपलों की रिपोर्ट ने बीबीएन क्षेत्र में हवा के खतरनाक तौर पर प्रदूषित होने की पुष्टि की है। उन्होंने यह बात रविवार को नालागढ़ में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। पत्रकार वार्ता में संस्था के अध्यक्ष जगजीत सिंह दुखिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजीत सिंह, महासचिव बालकृष्ण शर्मा, उपाध्यक्ष लक्ष्मी सिंह ठाकुर, मास्टर सुरेंद्र शर्मा आदि पदाधिकारी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि अमरीका में ओरिगन स्थित चेस्टर लैबनेट के द्वारा सैंपलों का विश्लेषण से यह खुलासा हुआ है कि हाल ही स्थापित जेपी व अंबुजा के सीमेंट ग्राइंडिंग प्लांट घातक जहरीले पदार्थों को हवा में छोड़ रहे हैं, जिनसे इनके आसपास रहने वाली जनता के सेहत को गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार इन संयंत्रों के आसपास की हवा में अति सूक्ष्म कण, पारा, मैगनीज, निकल, कैड्मियम व कैल्शियम की निर्धारित सुरक्षा मात्रा से कई गुना अधिक है। इनसे बच्चों, बुजुर्गों, बीमारी से ग्रस्त लोगों व गर्भवती महिलाओं पर विपरीत असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि संस्था ने बीते वर्ष भी बद्दी क्षेत्र से प्रदूषित हवा के सैंपल अमरीका की कोलंबिया लैब में टेस्ट करवाए थे, जिसमें खतरनाक जहरीले आर्गेनिक पदार्थ पाए गए थे, लेकिन अभी तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जहरीले पदार्थ उगलने वाले उद्योगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि यह सैंपल बीते वर्ष नवंबर माह में चार अलग जगहों से लो-वाल्यूम सैंपलिंग तकनीक का इस्तेमाल कर लिए गए थे, दोनों यूनिटों के नजदीक लिए गए सैंपलों का विश्लेषण में करीब-करीब वही प्रदूषक पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि बघेरी स्थित जेपी सीमेंट प्लांट के समीप से लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट के अनुसार सैंपलों में अति सूक्ष्म कणों की मात्रा निर्धारित सुरक्षित मात्रा से चार गुना तक अधिक है। उन्होंने कहा कि इन सैंपलों में मैगनीज की मात्रा निर्धारित मापदंडों से 12 गुना और पारा की मात्रा मानकों से अढ़ाई गुना तक अधिक पाई गई है। यह दोनों पदार्थ न्यूरोटॉक्सिन हैं, जो सीधे तौर पर शरीर की स्नायु तंत्र पर हमला करते हैं। इन मात्राओं में यह पदार्थ सांस में होने पर लोगों की प्रतिक्रिया धीमी हो सकती है, जिससे थकान, शरीर में भारीपन, शारीरिक अस्थिरता, फेफड़ों की बीमारियां, दिमाग व नजर की कमजोरी, एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन आदि मर्ज हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीमेंट यूनिट व थर्मल प्लांट के लिए हुई जन सुनवाई में परियोजना प्रबंधकों को जनता के घोर विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसके बावजूद इस यूनिट को पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिल गई थी।
March 7th, 2011

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