Sunday, 3 April 2011

भारत-पाक मैत्री में कयानी बाधा

नई दिल्ली प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी कश्मीर मसले का हल करने के लिए एक समझौते पर राजी हो गए थे, लेकिन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अश्फाक कयानी रास्ते की सबसे बड़ी बाधा बन गए थे। यह दावा अमरीकी कूटनीतिक संदेशों के हवाले से विकिलीक्स ने किया है। लंदन में अमरीकी दूतावास से चले 28 नवंबर 2008 के एक संदेश में कहा गया है कि ब्रिटिश विदेश मंत्रालय का विचार था कि भारत और पाकिस्तान कश्मीर पर एक समझौता दस्तावेज पर राजी हैं, लेकिन जनरल कयानी बाधा बने हुए हैं। ब्रिटिश विदेश मंत्रालय की यह राय तत्कालीन विदेश मंत्री डेविड मिलिबैंड की 25 नवंबर 2008 को हुई पाकिस्तान यात्रा पर आधारित थी। अमरीकी दूतावास के संदेश में कहा गया है कि पाकिस्तान में ब्रिटिश विदेश विभाग की अधिकारी लौरा हिकी के अनुसार श्री मिलिबैंड का आकलन यह था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बीच सहमति दस्तावेज  का रूप ले चुकी है, जिस पर वे हस्ताक्षर करने को तैयार हंै। हिकी के अनुसार मिलिबैंड का मानना था कि अब कश्मीर समझौता होने का समय आ गया है। संदेश के अनुसार मिलिबैंड को लगता था कि अब पाकिस्तान सेना प्रमुख ही इस समझौते की सबसे बड़ी बाधा रह गए है, जिन्हें राजी करने की जरूरत है।
April 4th, 2011 baddi

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