Wednesday, 9 March 2011

सोलन में पेइंग गेस्ट मालिक कर रहे चोखी कमाई

सोलन — प्रदेश सरकार को हर वर्ष लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है, लेकिन सोलन नगर परिषद की नींद करोड़ों रुपए के कर्ज तले डूबने के बाद भी नहीं खुल पाई है। शिक्षा का हब बन चुके सोलन शहर में इन दिनों लोगों ने पीजी जैसे होटल बनाकर लाखों कमा लिए हैं, लेकिन विभाग अभी भी उन पर कर लगाने में कामयाब नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि नगर परिषद के पास इस बात का भी रिकार्ड नहीं है कि सोलन में कितने पेइंग गेस्ट (पीजी) हैं। तमाम सोलन शहर में इन दिनों छात्रों को आशियाने के लिए हाहाकार मची है, वहीं लोगों ने इसे कमाई का जबरदस्त व्यवसाय बन गया है। सोलन में किराए के कमरों व पेइंग गेस्ट (पीजी) के मूल्य गत एक वर्ष में करीब 50 फीसदी ऊपर चले गए हैं। सोलन के एजुकेशन हब बनते ही यहां किराए के कमरों व पेइंग गेस्ट की बेतहाशा मांग बढ़ गई नतीजतन लोगों ने इस बढ़ती मांग को देखते हुए एक 800 रुपए में मिलने वाले कमरे को 1500 सौ तथा पेइंग गेस्ट को 2000 से बढ़ाकर 4000 हजार कर दिया है।  विडंबना है कि लोगों ने इसे मोटी कमाई का साधन बना लिया है व तकरीबन हर तीन घर छोड़कर एक पेइंग गेस्ट इन दिनों सोलन में उपलब्ध हैं। चिंतनीय है कि नगर परिषद द्वारा व अन्य विभागों द्वारा इन पेइंग गेस्ट व अन्य किराएदारों को दिए कमरों को सामान्य दरों (घरेलू) पर बिजली, पानी व अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। हालांकि अन्य राज्यों में इसे व्यावसायिक गतिविधि माना जाता है तथा किराए पर दिए कमरों व पीजी  को कामर्शियल बिल दिए जाते हैं। सोलन शहर में इन दिनों सैकड़ों पीजी चलाए जा रहे हैं। आलम यह है कि लोगों के जहां पहले दो कमरे थे, उन्हें लंबे हाल में तबदील कर दिया, जिसमें छह बिस्तर डालकर उसे पीजी व होटल की तरह रूप दिया गया है, एक बेड से खाने-पीने के खर्चे के साथ करीब चार हजार रुपए चार्ज किए जा रहे हैं। ऐसे में मकान मालिक एक ही हाल से महीने का करीब 25 हजार रुपए की आमदनी कर रहा है और उन्हें इस कमाई का कोई टैक्स भी नहीं देना पड़ रहा है। गौरतलब है कि बडे़-बड़े महानगरों में भी इस दर पर किराए के कमरे व पीजी मिल जाते हैं, लेकिन वहां के लोगों की आय अधिक होती है, जिसके चलते वे इतना खर्चा वहन कर पाते हैं। पहाड़ी राज्य हिमाचल में इस तरह के किराए छात्रों पर जबरदस्ती थोंपे जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार सोलन नगर परिषद के पास पेइंग गेस्ट की कोई गिनती नहीं है। लाखों रुपए की कमाई कर रहे पीजी मालिक इन दिनों अच्छी खासी चांदी कूट रहे हैं। विडंबना यह है कि किराएदारों व पीजी में रहने वाले छात्रों से मिलने वाला पैसा मालिकों की जेब में सीधा जाता है, जिससे उस राशि पर टैक्स भी नहीं लग पाता। इन पीजी मालिकों के लिए मजे की बात है कि इन्हें बिजली व पानी घरेलू दरों पर मिल रहा है। नियमों की अगर बात करें, तो व्यावसायिक गतिविधि पर पानी व बिजली की दरें व्यावसायिक लगाई जाती हैं जो कि घरेलू से दोगुना होती है। ऐसे में सरकार को लाखों रुपए का चूना हर माह लग रहा है। अगर विभाग द्वारा नियम बनाए जाएं, तो हर पीजी से कामर्शियल विद्युत बिल व कामर्शियल पेयजल बिलों के माध्यम से वार्षिक करोड़ों रुपए का राजस्व जाएगा। सोलन नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अजमेर ठाकुर ने बताया कि सोलन में पीजी को चिन्हित नहीं किया गया है, जिसके चलते अभी तक उन पर इस तरह की कार्रवाई नहीं हो पाई है।  नगर परिषद सोलन के चेयरमैन कुल राकेश पंत के मुताबिक सोलन में पेइंग गेस्ट का विस्तार काफी तेजी से हो रहा है। विभाग के पास फिलहाल शहर में कितने पीजी हैं इसकी जानकारी नहीं है। जल्द ही पेइंग गेस्ट के लिए कोई नीति निर्धारित की जाएगी तथा उनका सर्वे कर चिन्हित किया जाएगा।
March 10th, 2011

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