नालागढ़ — प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ में राष्ट्रीय उच्च मार्ग की बदहाली को लेकर उद्योग संघ के आमरण अनशन के ऐलान और भाजपा विधायक की ‘घुड़की’ के बाद राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों की नींद तो खुल गई है, लेकिन 35 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग पर लीपापोती का ही काम शुरू किया गया है। राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण ने नालागढ़-स्वारघाट मार्ग को दुरुस्त करने के लिए कोई विशेष बजट का प्रावधान नहीं किया है, लेकिन हंगामे को शांत करने के लिए ‘पैचवर्क’ का पैंतरा अपनाया है। असलीयत में राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण व लोक निर्माण विभाग नालागढ़ से पंजैहरा और पंजैहरा से स्वारघाट तक की सड़क के पूर्ण निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया का ही इंतजार कर रहा है, जिसमें अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कितने समय बाद सही मायने में सड़क का कार्य शुरू हो सकेगा। बेशक भाजपा विधायक हरिनारायण सैणी ने मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के आश्वासन के बाद अपना ‘आमरण अनशन’ का ‘हठ’ छोड़ दिया, उसका असर भी नजर आया। इस मार्ग पर पैचवर्क का कार्य शुरू भी हुआ, लेकिन मौसम के खराब होने से यह बंद कर दिया गया। यहां उल्लेखनीय है कि नालागढ़ उद्योग संघ ने जिन अहम मसलों को लेकर आमरण अनशन का बिगुल फंूका है, उसमें नालागढ़-स्वारघाट राष्ट्रीय उच्च मार्ग की बदहाली, चिकनी खड्ड पुल का जल्द निर्माण करवाने का मसला भी प्रमुख तौर पर शामिल है। मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने उद्यमियों के आक्रोश में भाजपा विधायक के सुर मिलाने के बाद हरकत में आते हुए हलके की सड़कों व पुलों के जल्द निर्माण व मरम्मत का आश्वासन तो दे डाला, लेकिन उद्यमियों का तर्क है कि इस सारे प्रकरण के नतीजे में विकास के नाम पर मिला तो कुछ भी नहीं, क्योंकि राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण ने नालागढ़-स्वारघाट मार्ग की मरम्मत के लिए कुछ विशेष फंड नहीं मुहैया करवाया है, जिससे इस मार्ग की मरम्मत के मसले पर संशय की स्थिति बरकरार है। उद्योगपतियों का कहना है कि मरम्मत के नाम पर लीपापोती ही की जा रही है तथा विभागीय अधिकारी भी टेंडर प्रक्रिया के बाद शुरू होने वाले निर्माण कार्य को अहम मान रहे हैं तथा मरम्मत कार्य के मसले पर कुछ भी साफ-साफ कहने से कतरा रहे हंै। सनद रहे कि 12 मार्च को नालागढ़ उद्योग संघ आमरण अनशन पर बैठने जा रहा है तथा प्रदेश सरकार उनके इस कदम को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इस कड़ी में उद्यमियों की मांगों पर भी गहनता से चर्चा चल रही है, ताकि किसी तरह इस गतिरोध को रोका जा सके। भड़के उद्योगपतियों का कहना है कि नालागढ़-स्वारघाट मार्ग का 35 किलोमीटर हिस्सा बदहाल है। वर्षों से खस्ताहाल इस सड़क को दुरुस्त करने के लिए भले ही टेंडर की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इसके अंजाम तक पहंुचने में अच्छा खासा वक्त लगेगा। इस अवधि में उन्हें इस बदहाली को झेलना पड़ेगा, क्योंकि राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण या लोक निर्माण विभाग उन्हें इस दिक्कत से बचाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठा रहा है और मरम्मत के नाम पर लीपापोती की जा रही है। नालागढ़ उद्योग संघ के प्रेस सचिव अनिल शर्मा ने कहा कि नालागढ़-स्वारघाट मार्ग पर मात्र लीपापोती का कार्य चल रहा है तथा यहां जनता की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि मरम्मत के लिए कोई बजट प्रावधान नहीं किया गया है तथा तमाम अधिकारी टेंडर प्रक्रिया का ही रोना रो कर इसे मानने पर जोर डालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह हमें मंजूर नहीं है, क्योंकि टेंडर के बाद सारी सड़क का निर्माण कार्य होने में अच्छा खासा वक्त लगेगा और उद्योगपति तब तक सड़क की दुर्दशा को और सहन नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि अधिकारी इसलिए संजीदा नहीं है, क्योंकि इस मार्ग की फोरलेनिंग होनी है। लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव पीसी कपूर ने कहा कि नालागढ़-स्वारघाट की फोरलेनिंग के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है तथा उसके बाद पूरे मार्ग का निर्माण शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मरम्मत शुरू की गई है, लेकिन यह रूटीन है। उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई विशेष बजट प्रावधान नहीं किया है।
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