नालागढ़ — प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में आगजनी की सूरत में सुरक्षा उपाय महज कागजी हैं। औद्योगिक क्षेत्रों के बड़े क्षेत्रफल और अग्निशमन केंद्रों की दूरी को देखते हुए किसी भी उद्योग को बचाना मुश्किल ही नहीं, असंभव सा है। हालात यह है कि बीबीएन बारूद के ढेर पर है, न यहां उद्योगों में आगजनी से बचाव के पुख्ता इंतजाम है और न ही दमकल केंद्रों में क्षेत्र के हिसाब से सुविधाओं को स्तरोन्नत किया गया है। बेशक बीबीएन के नालागढ़ व बद्दी में दो अग्निशमन केंद्र हंै तथा इनके पास अग्निशमन की गाडि़यां भी हैं, लेकिन कारखानों से इनकी दूरी के कारण स्थितियां हमेशा विस्फोटक बनी रहती हैं। औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में दो हजार से ज्यादा उद्योग स्थापित हैं, झुग्गी-झोंपडि़यों का आंकड़ा भी 60 हजार से ज्यादा है, आगजनी की दृष्टि से यह क्षेत्र हमेशा संवेदनशील बना रहता है। वर्ष 2009 में एसी कारखाने में हुए भीषण अग्निकांड के बाद बीबीएनडीए की सीईओ ममता चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति ने बीबीएन के उद्योगों में सुरक्षा इंतजामों का सच जांचा था। समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि जिन 720 उद्योगों की इस दौरान पड़ताल की गई, उनमें से 700 उद्योगों के पास अग्निशमन विभाग से मिलने वाली एनओसी ही नहीं थी। इसके अलावा 30 फीसदी उद्योगों में सुरक्षा मानकों की अवहेलना की गई थी और पांच फीसदी ऐसे उद्योग पाए गए थे, जो आग के मुहाने पर थे। हालात यह थे कि आगजनी की सूरत में इन उद्योगों को बचा पाना नामुमकिन था। सरकारी रिपोर्ट में यह भी सामने आया था कि उद्योगों में टीसीपी के मानदंडों की भी अवहेलना की गई थी, उद्योग परिसर में न फायर हाइड्रेंट थे, न ही आपात द्वार की सुविधा थी। वर्ष 2009 में सामने आई इस रिपोर्ट के बाद दमकल विभाग हरकत में आया, लेकिन इसके बावजूद 500 उद्योग ऐसे हैं, जिनके पास एनओसी नहीं है या जिन्होंने इसका नवीनीकरण ही नहीं करवाया। दमकल विभाग के कर्मी आगजनी के दौरान आग पर काबू पाने का हरसंभव प्रयास तो करते हंै, लेकिन सीमित स्टाफ, धक्का स्टार्ट गाडि़यों व सीमित संसाधनों के आगे तमाम कोशिशें बेकार हो जाती हैं। विभागीय आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं, तो वर्ष 2009 में औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ में आगजनी की 132 घटनाएं हुईं, जिनमेें 26 करोड़ 87 लाख 250 रुपए की संपत्ति स्वाह हो गई है, जबकि वर्ष 2010 में आगजनी के 96 मामलों में एक करोड़ 15 लाख 12 हजार रुपए की संपत्ति राख के ढेर में तबदील हुई। इसी तरह औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला में वर्ष 2009 में आगजनी के 108 मामले सामने आए, जिनमें पांच करोड़ 69 लाख रुपए की संपत्ति स्वाह हुई, जबकि वर्ष 2010 में 163 मामले आगजनी के घटित हुए, जिनमें आठ करोड़ 79 लाख रुपए की संपत्ति जलकर राख हो गई। दमकल अधिकारी नालागढ़ महेंद्र व बद्दी सुखदेव का कहना है कि विभाग आगजनी की घटनाओं पर सीमित संसाधनों में काबू पाने का प्रयास करता रहा है। उद्योगों के लिए एनओसी अनिवार्य की गई है, लेकिन सख्त कानून न होेने की वजह से उद्योगपति लापरवाही बरत रहे हैं।
March 23rd, 2011
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