Wednesday, 16 March 2011

कुदरत से मिला संगीत का तोहफा

हमीरपुर —  विदेश की धरती पर पले-बढ़े हरभजन मान बुधवार रात को जब ‘दिव्य हिमाचल’ से रू-ब-रू हुए तो अपने जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को ‘दिव्य हिमाचल’ के पाठकों के लिए पेश किया। हरभजन मान ने बताया कि वह हिमाचल में दो दर्जन से अधिक स्टेज शो कर चुके हैं। गायकी से अपना सफर शुरू करके  अभिनय के क्षेत्र में खुद को स्थापित कर चुके हरभजन मान आज बालीवुड की दोहरी भूमिका के सफल कलाकार हैं। हरभजन मान ने बताया कि उनकी प्राथमिक शिक्षा कनाडा के बैंकुवर में हुई है। जहां उनका परिवार स्थायी रूप से रहता है। उन्होंने बताया कि उनके खानदान में संगीत का किसी भी शक्स से दूर-दूर तक का नाता नहीं था, लेकिन ईश्वर की अपार कृपा से संगीत और अभिनय उन्हें कुदरती विरासत में मिले हैं, जिसके दम पर वह अपने आप को आज बालीवुड में स्थापित किए हुए हैं। उन्होंने बताया कि वह गायकी के क्षेत्र में पांव रखते ही विदेश को छोड़कर स्थायी रूप से पंजाब के पटियाला शहर में रहने को आ गए हैं। मान ने बताया कि संगीत की उनकी शिक्षा-दीक्षा कनाडा में ही करनैल पारस व शेख फरीद आदि नामी गिरामी संगीत सम्राटों की देखरेख में हुई।  1993 में उन्होंने अपनी पहली एलबम म्यूजिक बैंड के बैनर तले प्रस्तुत की, जिसके गाने चिट्ठिए नी चिट्ठिए ने उन्हें रातोंरात देश और दुनिया में एक स्टार के रूप में स्थापित कर दिया। वह अब तक 77 व सात सफल पंजाबी फिल्में दे चुके हैं। हरभजन मान आज भी अति सादगी व शिद्दत से अपने हर चाहवान को मिलते हैं। उन्होंने बताया कि 1999 में जब उनकी एलबम ‘गल्लां गोरियां दे बिच टोए’ सुपर हिट हुई थी, तब से ‘दिव्य हिमाचल’ के मुरीद हैं और जिस साफगोई व पारदर्शिता से ‘दिव्य हिमाचल’ के प्रतिनिधियों ने हिमाचली सरोकारों के साथ-साथ कलाकारों को सम्मान बख्शा है, उसके लिए ताउम्र शुक्रगुजार रहेंगे। उन्होंने बताया कि बालीवुड के सबसे बड़े म्यूजिकल डायरेक्टर प्रीतम ने इस फिल्म के एक गाने हैप्पी शैप्पी में अपना म्यूजिक दिया है। उन्होंने बताया कि दुनिया के सबसे खूबसूरत राग पहाड़ी पर उन्होंने अनेक सुपरहिट गाने गाए हैं और राग पहाड़ी पर ही हिमाचली गाना ‘कपड़े धोआं छम छम रोआं कुंजुआ’ बेहद दिलकश गाना है। उन्होंने कहा कि कला कुदरती बख्श है और कला को जबरदस्ती किसी में उतारा नहीं जा सकता है।
March 17th, 2011

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